सत्र के शुरूआत आदिवासी महिला द्वारा सास्कृतिक गीत से की गई।
आमंत्रित वक्ता एसबीआई डायरेक्टर एस. सिंह ने उपस्थित प्रतिभगीयों को संबोधित करते हुए बताया कि आप सब खेती करते है लेकिन यह जानकारी प्राप्त करना जरूरी है कि उन्नत खेती कैसे करेंगे।
आप लोग चाहे तो थोड़ी सी मेहनत से अधिक पैसा कमा सकते है। खाली समय में महिलाओं के लिए उन्होंने बताया कि:-
1.अगरवत्ती बना सकती है।
2.फूल की माला बना सकती है। फूल की खेती कर सकते है।
3.बकरी पालन कर सकती है। बकरी पालन कैसे किया आयगा। बकरी का भैक्सीनेसन कैसे होगी इन सबकी जानकारी हम देंगे।
4.सिलाई सिख सकती है।
online चर्चा मे वासवी किड़ो (झारखंड महिला आयोग) ने संबोंधित करते हुए कहा कि झारखण्ड की विकास की बात करे तो उसमें खेती का कभी स्थान ही नहीं रहा। एक से ज्यादा फसल लगा नहीं सकते। वैसे यहाँ का च् भ् मान भी बहुत कम है। मेहनत की हिसाब से उत्पादन नहीं हो पाता है। झारखण्ड आदिवासी 80ः जंगलों और खेती पर ही निर्भर है। महिलायें जंगल से लकड़ी काटकर घर लाती है। उसमें उनका बहुत ही बल लगता है। वैसे स्थिति में महिलाओं को पोषण प्राप्त करने के लिए मड़ुआ की रोटी बड़ा ही लभदायक होती है। मड़ुआ का पीठा बनाकर भी ख सकती है। ठीक वैसे ही मड़ुआ को भी बड़ा लाभदायक बताया।
Lemon Grass की खेती के बारे में बतायी कि यह बहुत ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। यह बलुई मिट्टी में खुद होती है। अभी हमलोग छोटी-छोटी चीजों पर प्रयोग कर महिलाओं की स्वरोजगार पर कार्य करने की सोच रहे है।