Result Sharing Workshop

28 and 29 April 2022

पैरवी दिल्ली द्वारा  Result Sharing workshop  का आयोजन जिला कृषि कार्यालय देवघर झारखण्ड में किया गया। इसमें झारखण्ड राज्य के देवघर प्रखण्ड के 5 गाँवो तुलसीटाड़ कौवादह, मंगनासार, बहरोकी तथा भलसुमिरिया गाँव के किसानो ने भाग लिया ।

कार्यशाला की शुरुआत आदिवासी महिला द्वारा सांस्कृतिक स्वागत गाान से की गई। इसके बाद सुभाष चंद्र दुबे ने कार्यशाला के उघेश्यों के बारे मे विस्तृत रुप से चर्चा किये। उन्होने, बताया कि पैरवी दिल्ली द्वारा 3 वर्षो के कार्यकाल में दलहन, तेलहन लगााने के लिए किसानों को जागरुक कर किसानो से अधिक रकवा में तेलहन और दलहन लगााने के लिए प्रेरित किया गया । किसान जागरुक भी हुए और उन्होने अपने खेतो मे दहलन और तेलहन अधिक जमीन में लगाने का कार्य भी किया। बीज बैक कैसे कार्य करता है से लेकर अपना बीज जमा करने के नियमो के बारे में विस्तृत चर्चा करता है से लेकर अपना बीज जमा करने के नियामो के बारे में विस्त्त चर्चा की । सुभाष चंद्र दुबे ने बताया कि ग्राम तुलसीटॅाड की महिला किसान सुबोदी सोरन बहुत ही उन्नत किसान है। दलहन और तेलहन की खेती पर जोर देते हुए बताये िकइस वर्ष नये उत्साह के साथ अरहर, मसूर और चना नाइजर सरसये की खेती का रकबा बढाये। किसानो पे स्वीकार भी किया िकइस वर्ष हमलोग दलहन और तेलहन की खेती पिछले वर्षो की अपेक्षा ज्यादा करेगें।

Participants
Knowledge Material Distributed

इसके बाद आत्मा कृषि विभाग के उप परियोजना निदेशक श्री मन्टु कुमार ने किसानो को संबोधित करते हुए बताया कि झारखण्ड का जमीन दलहन और तेलहन के लिए बहुत ही उपयोगी है। उन्होने बताया कि जमीन में दलहन में और तेलहन की खेती होती है उस जमीन की उर्वरा शक्ति और आधिक बद जाती है व।से भी उपरी जमरन में आपलोग कोई फसल नही लगा पाते है। इसलिए उपरी जमीन में आप दलहन और तेलहन की खेती बहुत ही आसानी से कर सकती है इसको भूमि सुधारक फसल भी कहते है।

पैरवी दिल्ली परियोजना के राष्ट्रीय समन्यक श्री विकास कुमार अरोड़ा जी ने बीज बैंक का संचालन से लेकर 12 सदस्यी समिती के गढन के लिए किसानों के साथ ब्यापक चर्चा किये।

कृषि वैज्ञानिक परिमल कुमार सिंह ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि आप सबों का भूमि तेलहन और दलहन के लिए बहुत ही उपयोगी है। उन्होने बसहरा ग्राम के उननत किसान हरेमाम यादव तुलसीटाँड़ की महिला किसान सुबोधी सोरेन का नाम रखते हुए बताया कि ये लोग दलहन और तेलहन की खेती उच्छे ढंग से करते है। आगे उन्होनें बताया कि दलहन और तेलहन की खेती करने से जमीन की उर्वरा शक्ति भी बढ़ जाती है।

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